Skip to content

PADHO JANO

One Step Towards Education

Menu
  • HOME
  • India
    • Uttar Pradesh
      • Raebareli
      • Unnao
  • LAW (कानून)
    • Administrative Law (प्रशासनिक विधि)
    • Alternative Dispute Resolution (वैकल्पिक विवाद समाधान) ADR
    • Land Law (भूमि विधि)
  • PSYCHOLOGY
  • Constitution
    • प्रस्तावना
  • General Knowledge
    • Environment
  • English
    • Dictionary
      • अनाज और उनसे बने उत्पाद
  • SERVICES
  • DOWNLOADS
Menu

**पूर्व में बरी और पूर्व में दोषी: सिद्धांत**

Posted on April 23, 2025August 1, 2025 by KRANTI KISHORE

**पूर्व में बरी और पूर्व में दोषी: सिद्धांत**

    ये दोनों सिद्धांत **दोहरे खतरे (Double Jeopardy)** के सिद्धांत से जुड़े हैं। दोहरे खतरे का अर्थ है कि किसी व्यक्ति को एक ही अपराध के लिए एक से अधिक बार अभियोजित और दंडित नहीं किया जा सकता।

**पूर्व में बरी (Former Acquittal):** यदि किसी व्यक्ति को किसी अपराध के लिए पहले ही बरी कर दिया गया है (अर्थात न्यायालय ने उसे निर्दोष पाया है), तो उसे उसी अपराध के लिए दोबारा अभियोजित नहीं किया जा सकता। इसका मतलब यह है कि राज्य (State) को एक ही व्यक्ति को बार-बार एक ही अपराध के लिए अदालती कार्यवाही में नहीं घसीटना चाहिए, क्योंकि इससे व्यक्ति को अनावश्यक मानसिक और वित्तीय पीड़ा होगी।

**पूर्व में दोषी (Former Conviction):** यदि किसी व्यक्ति को किसी अपराध के लिए पहले ही दोषी ठहराया जा चुका है (अर्थात न्यायालय ने उसे दोषी पाया है), तो उसे उसी अपराध के लिए दोबारा अभियोजित नहीं किया जा सकता। यह सुनिश्चित करता है कि एक व्यक्ति को उसके अपराध के लिए एक बार दंडित होने के बाद, उसे उसी अपराध के लिए बार-बार दंडित न किया जाए।

**निष्पक्ष विचारण को सुनिश्चित करने में भूमिका**


    ये दोनों सिद्धांत एक निष्पक्ष विचारण सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं:

**मनमानी से सुरक्षा:** ये सिद्धांत राज्य को मनमाने ढंग से किसी व्यक्ति को बार-बार अभियोजित करने से रोकते हैं। यदि ऐसा न होता, तो राज्य किसी व्यक्ति को तब तक अभियोजित करता रहता जब तक कि उसे दोषी न ठहरा लिया जाए, जो कि न्याय के सिद्धांतों के खिलाफ होगा।

**संसाधनों का कुशल उपयोग:** ये सिद्धांत अदालत के समय और संसाधनों का बेहतर उपयोग सुनिश्चित करते हैं। बार-बार एक ही मामले की सुनवाई करने से बचने पर, अदालतें अन्य लंबित मामलों पर ध्यान केंद्रित कर सकती हैं।

**मनोवैज्ञानिक सुरक्षा:** ये सिद्धांत व्यक्ति को इस भय से मुक्ति दिलाते हैं कि उसे उसी अपराध के लिए बार-बार अभियोजित किया जा सकता है। यह व्यक्ति के मानसिक स्वास्थ्य और शांति को बनाए रखने में मदद करता है।

**न्याय पर विश्वास:**
जब लोगों को यह विश्वास होता है कि न्याय प्रणाली उन्हें दोहरे खतरे से बचाती है, तो न्याय प्रणाली में उनका विश्वास बढ़ता है।

**निष्कर्ष**

    भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता में “पूर्व में बरी” और “पूर्व में दोषी” के सिद्धांत न्याय और निष्पक्षता के सिद्धांतों पर आधारित हैं। ये सिद्धांत दोहरे खतरे से सुरक्षा प्रदान करते हैं और सुनिश्चित करते हैं कि प्रत्येक व्यक्ति को एक निष्पक्ष विचारण का अधिकार है।

 (**अस्वीकरण:** यह लेख केवल सूचनात्मक उद्देश्यों के लिए है और इसे कानूनी सलाह के रूप में नहीं माना जाना चाहिए।)

=====================================

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Useful Pages

  • Motivation
    • Quotes
    • Stories

Recent Posts

  • पर्यावरण सुरक्षा और पारिस्थिकी तंत्र 
  • G20
  • अलास्का
  • रामसर सम्मेलन
  • असंक्रमनीय भूमिधर क्या है?
  • जेनेवा अभिसमय पंचाट से आप क्या समझते हैं? 
  • न्यूयार्क अभिसमय पंचाट
  • विदेशी पंचाट (Foreign Arbitration): परिभाषा, प्रवर्तन की शर्तें 
  • किसी पक्ष की मृत्यु का मध्यस्थता समझौते पर प्रभाव
  • क्या माध्यस्थम पंचाट के विरुद्ध अपील हो सकती है?
  • पक्षकार का व्यतिक्रम (Res Judicata) से आप क्या समझते हैं? — एक पक्षीय पंचाट प्रक्रिया के लिए मध्यस्थ/माध्यमिक अधिकरण की शक्तियों की विवेचना
  • माध्यस्थम पंचाट की परिभाषा एवं इसके प्रारूप और अन्तर्वस्तु की विवेचना
  • December 2025 (2)
  • November 2025 (59)
  • October 2025 (1)
  • August 2025 (3)
  • April 2025 (2)
  • Alternative Dispute Resolution (वैकल्पिक विवाद निस्तारण) (15)
  • BNSS (1)
  • Costitution (3)
  • Environment (1)
  • GENERAL STUDY (2)
  • Human Rights (19)
  • Land Law (भूमि विधि) (15)
  • POLITY (1)
  • STATIC GK (1)
  • प्रशासनिक विधि (14)
  • About Me
  • Contact Us
  • Disclaimer
  • Privacy Policy
  • Facebook
© 2025 PADHO JANO | Powered by Superbs Personal Blog theme