प्राकृतिक विधि (Natural Law) और मानव अधिकारों का विचार—दोनों दार्शनिक और वैधानिक विमर्श में दीर्घकालीन रहे हैं। प्रश्न यह है कि क्या प्राकृतिक विधि वास्तव में मानव अधिकारों का आधार है, और यदि हां तो इसे आधुनिक कानूनी उपकरणों जैसे कि “मानव अधिकार संरक्षण अधिनियम” (hypothetical या किसी वास्तविक संहितात्मक नाम के सन्दर्भ में)…
Month: August 2025
नैसर्गिक अधिकार, विधिक अधिकार और मानव अधिकार
परिचय एक समावेशी और न्यायसंगत समाज की स्थापना के लिए अधिकारों की समझ आवश्यक है। अधिकार (rights) समाज, राज्य और व्यक्ति के बीच संबंधों और जिम्मेदारियों का आधार बनते हैं। सामान्यतः अधिकारों को तीन व्यापक श्रेणियों में बाँटा जाता है: नैसर्गिक अधिकार (natural rights), विधिक अधिकार (legal rights) और मानव अधिकार (human rights)। प्रत्येक श्रेणी…
मानवाधिकारों की अवधारणा
मानवाधिकार वे अधिकार हैं जो हर मानव को केवल मनुष्य होने के नाते प्राप्त होते हैं। ये अधिकार अप्रत्यक्ष, सार्वभौमिक और अविभाज्य होते हैं। मानवाधिकारों का मूल उद्देश्य प्रत्येक व्यक्ति को सम्मानपूर्ण जीवन देना और अन्याय, उत्पीड़न एवं भेदभाव से रक्षा करना है। मानवाधिकारों की अवधारणा की शुरुआत आधुनिक काल में हुई, जो मुख्यतः 18वीं…