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Month: November 2025

माध्यस्थम (मेडिएशन) कार्यवाही के संचालन सम्बन्धी प्रावधान

Posted on November 26, 2025November 26, 2025 by KRANTI KISHORE

परिचय माध्यस्थम (mediation) वैकल्पिक विवाद समाधान (ADR) का एक प्रमुख साधन है जिसमें तटस्थ मध्यस्थ पक्षों के बीच आपसी वार्ता द्वारा विवाद का समाधान कराने का प्रयास करता है। भारत में मध्यस्थम सम्बन्धी प्रावधान अनेक कायनों और नियमों में निहित हैं—विशेषकर सिविल प्रक्रिया संहिता, 1908 (CPC), वैकल्पिक विवाद निवारण विधि नीतियाँ, घरेलू विधेयक तथा कुछ…

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विधिक प्रतिनिधि, मध्यस्थता/माध्यमिक अधिकरण द्वारा नियुक्त विशेषज्ञ, एवं मुख्य कार्यपालक अधिकारी

Posted on November 26, 2025November 26, 2025 by KRANTI KISHORE

परिचय किसी भी वैधानिक या प्रशासनिक विषय पर स्पष्ट, सुव्यवस्थित और संक्षिप्त उत्तर देना विधि के विद्यार्थियों के लिए अनिवार्य है। यहाँ हम तीन महत्वपूर्ण पदों—(1) विधिक प्रतिनिधि, (2) मध्यस्थ अथवा मध्यस्थता/माध्यमिक अधिकरण द्वारा नियुक्त विशेषज्ञ, तथा (3) मुख्य कार्यपालक अधिकारी  1. विधिक प्रतिनिधि (Legal Representative) परिभाषा एवं अर्थ विधिक प्रतिनिधि शब्द का प्रयोग प्रायः…

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न्यायिक प्राधिकारी से आप क्या समझते हैं? उन आधारों की विवेचना कीजिये जब न्यायिक प्राधिकारी पक्षकारों को माध्यस्थम के लिए निर्दिष्ट करता है।

Posted on November 25, 2025November 25, 2025 by KRANTI KISHORE

परिचयन्यायिक प्राधिकारी (judicial authority) शब्द का उपयोग साधारणतः न्यायालयों, न्यायाधीशों और अन्य न्यायिक संस्थानों के लिए किया जाता है जो कानूनी विवादों का निवारण, आदेश-निर्धारण तथा कर्तव्य निर्वहन करते हैं। न्यायिक प्राधिकारी केवल आदेश देने वाले व्यक्ति नहीं होते, बल्कि वे कानून के आधार पर तथ्यों का मूल्यांकन कर न्यायसंगत समाधान तक पहुँचाने का अधिकार…

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माध्यस्थम तथा सुलह अधिनियम, 1996 के अंतर्गत माध्यस्थम करार के महत्त्व और आवश्यक तत्व

Posted on November 25, 2025November 25, 2025 by KRANTI KISHORE

माध्यस्थम तथा सुलह अधिनियम, 1996 (Arbitration and Conciliation Act, 1996) भारत में वैकल्पिक विवाद निपटान (Alternative Dispute Resolution – ADR) का प्रमुख संवैधानिक तथा विधिक ढांचा प्रदान करता है। माध्यस्थम करार (Arbitration Agreement) का अर्थ और महत्व परिभाषा: अनुच्छेद 7(1) (सेक्शन 7) के अनुसार, माध्यस्थम करार वह समझौता है जिसके द्वारा पक्ष यह सहमत होते…

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माध्यस्थम करार क्या है? माध्यस्थम करार के आवश्यक तत्व

Posted on November 25, 2025November 25, 2025 by KRANTI KISHORE

माध्यस्थम करार (Contract of Indemnity/Guarantee? — यहाँ “माध्यस्थम” शब्द का सामान्यतः अर्थ mediation या agency/ intermediary होता है) — प्रमाणित संदर्भ के अनुसार यदि प्रश्न का आशय “माध्यस्थम करार” से मध्यस्थता करार (Contract of Mediation/Arbitration?) है तो इसे मध्यस्थता समझा जा सकता है। परन्तु भारत में विधि-विषयक दृष्टि से अक्सर “माध्यस्थम” से आशय “मध्यस्थ” (agent/…

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माध्यस्थम (मेडिएशन) की परिभाषा एवं माध्यस्थम तथा सुलह अधिनियम, 1996 की विशेषताएँ 

Posted on November 25, 2025November 26, 2025 by KRANTI KISHORE

माध्यस्थम (Mediation) वैकल्पिक विवाद निवारण (ADR) की वह प्रक्रिया है जिसमें निष्पक्ष तटस्थ तृतीय पक्ष — माध्यस्थ/मेडिएटर — विवादित पक्षों के बीच संचार व समझौता कराने के लिए मध्यस्थता करता है। इसका उद्देश्य पक्षों को पारस्परिक समझ और स्वेच्छिक समझौते के माध्यम से विवाद का समाधान दिलाना है, बिना न्यायालयीन मुकदमेबाजी के।  माध्यस्थम की परिभाषा…

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माध्यस्थम तथा सुलह अधिनियम, 1996 — मुख्य उद्देश्य 

Posted on November 25, 2025November 25, 2025 by KRANTI KISHORE

परिचय माध्यस्थम तथा सुलह अधिनियम, 1996 (The Arbitration and Conciliation Act, 1996) भारत में वैकल्पिक विवाद निपटान (Alternative Dispute Resolution — ADR) को व्यवस्थित करने हेतु पारित प्रमुख कानून है। यह अधिनियम 1996 में लागू हुआ और इसका उद्देश्य मध्यस्थता (arbitration) तथा सुलह/समझौता (conciliation) की प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित, आधुनिक और अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप बनाना…

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वैकल्पिक विवाद निश्चय प्रणाली (Alternative Dispute Resolution — ADR) का क्या अर्थ है?

Posted on November 25, 2025November 25, 2025 by KRANTI KISHORE

        विवादों का समाधान न्यायालय के बाहर निपटाने की प्रक्रियाओं के समुच्चय को वैकल्पिक विवाद निश्चय प्रणाली (ADR) कहते हैं। यह शब्द एक समग्र संज्ञा है जो मध्यस्थता (mediation), सुलह (conciliation), समझौता बैठकें (negotiation), पंचाट (lok adalat), निर्णायक मध्यस्थता (arbitration) तथा अन्य वैकल्पिक तरीकों को शामिल करता है। ADR का उद्देश्य समय,…

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नामान्तरण क्या है? नामान्तरण का साक्ष्यिक मूल्य, नामान्तरण की प्रक्रिया और परिणाम

Posted on November 25, 2025November 25, 2025 by KRANTI KISHORE

परिचय नामांतरण का तात्पर्य होता है वार्षिक रजिस्टर के अंदर जोरदार के नाम में परिवर्तन होना दूसरे अर्थ में एक व्यक्ति के नाम को खारिज करके दूसरे व्यक्ति का नाम उसी जगह पर डाल दिया जाना दाखिल खारिज की प्रक्रिया को तभी अपनाया जाता है जब जमीन के कब्जे में परिवर्तन होता है। नामान्तरण (नामांतरण/नामांतरण…

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अपील क्या है? अपील के आधार कौन-कौन से हैं और राजस्व मामलों में यह पुनरीक्षण से कैसे भिन्न है? 

Posted on November 25, 2025November 25, 2025 by KRANTI KISHORE

परिचय “अपील” और “पुनरीक्षण” (revision) किसी भी विधिक प्रणाली में न्यायिक निर्णयों पर नियंत्रण और उसके सुधार के उपाय आवश्यक होते हैं। 1. अपील (Appeal) — परिभाषा और स्वरूप – परिभाषा: अपील वह न्यायिक उपाय है जिसके द्वारा कोई पक्ष निचली अदालत या अधिकरण के निर्णय, आदेश या निष्कर्ष को उच्च न्यायाधिकरण के समक्ष चुनौती…

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