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Month: November 2025

सीमा चिन्ह क्या है? सीमा सम्बन्धी विवादों के निपटारे की प्रक्रिया

Posted on November 25, 2025November 25, 2025 by KRANTI KISHORE

    सीमा (boundary) किसी संपत्ति के स्वामित्व या अधिकार की भौगोलिक सीमाओं को दर्शाती है। भूमि, भवन या किसी अन्य अचल संपत्ति के मामले में सीमा चिन्ह (boundary marker/land mark) वह स्थायी या अस्थायी चिन्ह होते हैं जो दो या अधिक संपत्तियों के बीच के विभाजन को सूचित करते हैं। भारतीय संदर्भ में सीमा चिन्ह का…

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राजस्व न्यायालय और राजस्व अधिकारी

Posted on November 25, 2025November 25, 2025 by KRANTI KISHORE

प्रस्तावना राजस्व व्यवस्था भारतीय आपराधिक/नागरिक प्रक्रियाओं से अलग एक स्वायत्त प्रशासनिक-न्यायिक तंत्र है जिसका विषय भूमि, भूमि का कर (पट्टा, जगह रकबा कर), बकाया राजस्व व जमीन से संबंधित हित-संबंध होते हैं। अक्सर पूछा जाता है कि राजस्व न्यायालय (Revenue Courts) और राजस्व अधिकारी (Revenue Authorities) क्या होते हैं तथा इनके बीच मूलभूत अंतर क्या…

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भू राजस्व क्या है? — उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता 2006 के अधीन भू राजस्व वसूली की प्रक्रिया  

Posted on November 25, 2025November 25, 2025 by KRANTI KISHORE

परिचय   भू राजस्व (Land Revenue) भारतीय राजस्व व्यवस्था का एक मौलिक घटक है। ऐतिहासिक दृष्टि से भू राजस्व भूमि से सरकार द्वारा प्राप्त किया जाने वाला वह कर या राशि है जो शासन-व्यवस्था, भूमि रिकॉर्ड एवं प्रबंधन के लिए प्रयोज्य मानी जाती है। आधुनिक संदर्भ में भू राजस्व में भूमि कर, पट्टा/किराया, भूमिधन/भू-कर और संबंधित…

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राजस्व परिषद — गठन, अधिकारिता और शक्तियाँ

Posted on November 24, 2025November 25, 2025 by KRANTI KISHORE

प्रस्तावना राजस्व परिषद (Revenue Council) भारतीय राजस्व प्रशासन की एक महत्वपूर्ण संस्थात्मक संकल्पना है, जो भूमि, कर, सरकारी आय व संबंधित विवादों के निवारण तथा नीतिगत दिशा-निर्देशन में अहम भूमिका निभाती है।  परिचय राजस्व परिषद उस संस्थान को कहते हैं जिसका उद्देश्य राजस्व-संबंधी मामलों जैसे भूमि कर, भूमि का मालिकाना, राजस्व संग्रहण, राजस्व न्यायालयों के…

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उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता २००६ के अधीन किन किन मामलो में प्रथम और द्वितीय अपील हो सकती है?क्या सिविल प्रक्रिया संहिता १९०८ और परिसीम अधिनियम १९६३ से प्रावधान राजस्व न्यायालयों पर लागू होंगे?

Posted on November 24, 2025November 25, 2025 by KRANTI KISHORE

प्रस्तावना उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता, 2006 (आगे “संहिता”) ग्रामीण/राजस्व न्यायालयों में भूमि-संबंधी विवादों के निपटारे का मुख्य कानूनी ढाँचा है।  दो पृथक परन्तु संबंधित मुद्दे पूछे गए हैं: (1) किन-किन मामलों में प्रथम व द्वितीय अपील सम्भव है; और (2) क्या सिविल प्रक्रिया संहिता, 1908 (CPC) तथा परिसीमन अधिनियम, 1963 के प्रावधान राजस्व न्यायालयों पर…

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जोत के पट्टे का अर्थ और उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता 2006 के अधीन पट्टा किसे मिल सकता है — 

Posted on November 24, 2025November 25, 2025 by KRANTI KISHORE

परिचय अधिकार वर्णन और खेती योग्य भूमि के स्वत्व-संबंधी प्रश्नों में “जोत” और “पट्टा” का अर्थ तथा पट्टा किसे दिया जा सकता है—यह समझना महत्त्वपूर्ण है।  1. जोत का अर्थ – सामान्य अर्थ: जोत से आशय सामान्यतः खेत की वह भागी भूमि है जिसे व्यक्तिगत रूप से जोता गया हो; यानी जो एक कृषक द्वारा…

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बेदखली से आप क्या समझते हैं? — उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता, 2006 के संदर्भ में आसामी को किन अधिकारों पर बेदखल किया जा सकता है? — गलत बेदखली के विरुद्ध उपचार 

Posted on November 24, 2025November 24, 2025 by KRANTI KISHORE

परिचय बेदखली (Eviction) भूमि-संबंधी विवादों में एक सामान्य प्रथा है जिसका उद्देश्य किसी व्यक्ति (आसामी/किरायेदार/अधिवासी) को किसी संपत्ति या भू-भाग से हटाना है। उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता, 2006 (UP Revenue Code, 2006) व संबंधित प्रावधानों के तहत बेदखली की प्रक्रियाएँ, कारण और आसामी के अधिकार विस्तारपूर्वक विनियमित हैं।  1. बेदखली का अर्थ (परिभाषा) – सामान्य…

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संक्रमणीय अधिकार वाले भूमिधर से आप क्या समझते हैं? उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता २००६ में वर्णित असंक्रमनीय अधिकार वाले भूमिधर के अधिकारों की विवेचना कीजिये?

Posted on November 24, 2025November 24, 2025 by KRANTI KISHORE

प्रस्तावना भूमिधर (occupant/landholder) और उसके अधिकार भारतीय भूमि कानून एवं राजस्व व्यवस्थाओं का महत्वपूर्ण अंग हैं। एनविख्यात श्रेणियों में “संक्रमणीय अधिकार” (transferable rights) और “असंक्रमनीय अधिकार” (non-transferable/inalienable rights) का विभाजन विशेष महत्व रखता है, क्योंकि इससे न केवल व्यक्ति के निजी स्वत्व व लेन-देन की क्षमता निर्धारित होती है, बल्कि सार्वजनिक नीति, सामाजिक हित और…

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ग्राम पंचायत — परिभाषा, कार्य और शक्तियाँ 

Posted on November 24, 2025November 24, 2025 by KRANTI KISHORE

परिचय ग्राम पंचायत भारतीय स्थानीय स्वशासन प्रणाली की सबसे निचली इकाई है। यह ग्राम स्तर पर लोकतांत्रिक प्रतिनिधित्व का माध्यम है और ग्रामीण विकास, समेकित लोककल्याण व स्थानीय प्रशासन की जिम्मेदारी निभाती है। 1. परिभाषा ग्राम पंचायत (Gram Panchayat) स्थानीय आत्म-शासन का प्राथमिक निकाय है जो ग्राम स्तर पर ग्रामवासियों द्वारा चुने गए प्रतिनिधियों के…

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ग्राम सभा क्या है? — ग्राम सभा के कार्य और शक्तियाँ 

Posted on November 24, 2025November 24, 2025 by KRANTI KISHORE

परिचय ग्राम सभा भारतीय लोक प्रशासन की सबसे निचली और महत्वपूर्ण प्रत्यक्ष लोकतांत्रिक इकाई है। यह ग्राम पंचायत के क्षेत्र में रहने वाले सभी मतदाता — यानी 18 वर्ष और उससे अधिक आयु के निवासियों — का सम्मिलित निकाय है। भारतीय संविधान के 73वें संशोधन (1992) ने ग्राम सभा को स्थानीय स्वशासन प्रणाली का केन्द्रिक…

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