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किसी पक्ष की मृत्यु का मध्यस्थता समझौते पर प्रभाव

Posted on November 26, 2025November 26, 2025 by KRANTI KISHORE

परिचय

मध्यस्थता (Arbitration) एक वैकल्पिक विवाद निपटान प्रक्रिया है जिसमें पक्ष अपने विवाद को तटस्थ मध्यस्थ के समक्ष प्रस्तुत कर उसे विवाद निपटाने का अधिकार देते हैं। 

प्रश्न को समझना

मामला यह देखने का है कि जब मध्यस्थता समझौते के किसी पक्ष का निधन हो जाता है तो क्या समझौता स्वतः समाप्त हो जाता है, क्या मृतक के वारिस या उत्तराधिकारी समझौते के दायरे में आते हैं, और मध्यस्थता की कार्यवाही कैसे प्रभावित होती है। इस विषय में संवैधानिक, संविदात्मक और न्यायिक नियमन का महत्व है।

सिद्धांत और कानूनी आधार

1. संविदात्मक प्रकृति:

– मध्यस्थता समझौता एक संविदात्मक (contractual) व्यवस्था है; अतः इसकी प्रभावशीलता और पारितोषिक पक्षों की क्षमता सामान्य संविदानुशरण नियमों के अधीन रहती है।

– एक पक्ष की मृत्यु उसे संविदानुशरण कर्तव्यों से आंशिक रूप से मुक्त कर सकती है, पर मध्यस्थता समझौते के तथ्यात्मक और कानूनी विवेचन पर निर्भर करता है कि क्या उत्तराधिकारी इसके दायित्वों और अधिकारों को अपनाएंगे।

2. उत्तराधिकारियों/वारिसों का स्थान:

– सामान्यत: अगर मध्यस्थता समझौता या संबंधित संविदा की प्रविष्टियों से स्पष्ट न हो तो उत्तराधिकारी (legal representatives) या वारिस मूल पक्ष के अधिकारों और दायित्वों के उत्तराधिकारी माने जाते हैं।

– कई न्यायालयों ने माना है कि मध्यस्थता समझौते के लाभ और भार उत्तराधिकारी पर जाने चाहिए जब वे संबंधित संपत्ति, अधिकार अथवा निष्पादन से जुड़े हों।

3. भारतीय परिप्रेक्ष्य:

– मध्यस्थता और सुलह अधिनियम, 1996 (Arbitration and Conciliation Act, 1996) का उद्देश्य मध्यस्थता में पक्षों की स्वायत्तता और त्वरित निपटान सुनिश्चित करना है। अधिनियम में प्रत्यक्ष रूप से “मृत्यु” के प्रभाव पर विशिष्ट प्रावधान नहीं हैं, पर न्यायालयों की व्याख्या और संविदात्मक सिद्धांत लागू होते हैं।

– धारा 22–28 (मध्यस्थ नियुक्ति, बहसें आदि) और धारा 31–34 (पुरस्कार और चुनौती) के सन्दर्भ में, पेटेंट तौर पर मृत्यु हेतु अलग प्रावधान नहीं, पर प्रचलित न्यायिक रुख उत्तराधिकारी के समावेश की ओर रहा है।

न्यायालयीन प्रवृत्तियाँ और तर्क

1. पक्ष की मृत्यु पर मध्यस्थता स्वयं समाप्त नहीं होती:

– उच्चतम न्यायालय तथा उच्चतम स्तर के न्यायालयों में भी कई निर्णयों ने कहा है कि पक्ष की मृत्यु से मध्यस्थता समझौता स्वतः समाप्त नहीं होता। यदि विवाद मूलतः संपत्ति या भुगतान से जुड़ा हुआ है, तो मृतक के उत्तराधिकारी को प्रक्रिया में जोड़ा जा सकता है।

2. प्रक्रिया-विशिष्ट परिस्थितियाँ:

– यदि मध्यस्थता की प्रकृति व्यक्तिगत (personal) हो — जैसे चरित्र-संबंधी अधिकार, निजी सेवा-सम्बंधी दायित्व जो केवल जीवित व्यक्ति ही निभा सकता है — तो मृत्यु पर मध्यस्थता रद्द हो सकती है।

– पर व्यवहारिक रूप से व्यावसायिक समझौतों में मृतक के उत्तराधिकारी अक्सर पक्ष की जगह ले लेते हैं।

3. न्यायालयों ने ध्यान दिया है कि मृत्यु की स्थिति में मध्यस्थता के समय की स्थिति, समझौते की शर्तें (assignment/transfer की मनाही या अनुमति), और उत्तराधिकारियों का हित क्या है, इन सबको तौलना आवश्यक है।

प्रयोगिक उदाहरण-रुख

– यदि A और B के बीच एक व्यापारिक अनुबंध है जिसमें मध्यस्थता का समझौता है और A की मृत्यु हो जाती है, तो A के उत्तराधिकारी (हिरासतधारी, executors, administrators) आम तौर पर मध्यस्थता की प्रक्रिया में शामिल होंगे और पुरस्कार उनके विरुद्ध/उनके अधिकार में होगा।

– यदि मध्यस्थता किसी व्यक्तिगत सेवा (जैसे कलाकार द्वारा दी जाने वाली व्यक्तिगत सेवाएँ) के विवाद से सम्बन्धित है, तो मृत्यु पर समझौता प्रभावहीन हो सकता है क्योंकि सेवा का प्रवर्तन संभव नहीं है।

संक्षिप्त

मध्यस्थता समझौता एक संविदात्मक समझौता है। किसी पक्ष की मृत्यु से वह समझौता स्वतः समाप्त नहीं होता, क्योंकि अधिकार और दायित्व सामान्यत: उसके उत्तराधिकारी (legal representatives) को स्थानान्तरित हो जाते हैं। Arbitration and Conciliation Act, 1996 में मृतक के प्रभाव पर प्रत्यक्ष प्रावधान नहीं है, पर न्यायालयों ने यह स्पष्ट किया है कि जहाँ विवाद संपत्ति, भुगतान अथवा व्यावसायिक दायित्व से जुड़ा हो, वहां मध्यस्थता जारी रखी जा सकती है और उत्तराधिकारी पक्ष बनकर आगे बढ़ेंगे। केवल तब मृत्यु मध्यस्थता को प्रभावित करती है जब समझौता व्यक्तिगत सेवाओं या व्यक्तिगत गुणों पर आधारित हो, और दत्तक/संपत्ति के हस्तान्तरण से मध्यस्थता अर्थहीन हो जाती है। अतः सामान्य सिद्धांत यह है कि मृत्यु से मध्यस्थता स्वतः समाप्त नहीं होती; तथापि वास्तविक परिणाम समझौते की शर्तों, विवाद की प्रकृति तथा उत्तराधिकारी के हित पर निर्भर करेगा।

ADR, किसी पक्ष की मृत्यु का मध्यस्थता समझौते पर प्रभाव, वैकल्पिक विवाद निपटान प्रक्रिया

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