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वैकल्पिक विवाद निश्चय प्रणाली (Alternative Dispute Resolution — ADR) का क्या अर्थ है?

Posted on November 25, 2025November 25, 2025 by KRANTI KISHORE

        विवादों का समाधान न्यायालय के बाहर निपटाने की प्रक्रियाओं के समुच्चय को वैकल्पिक विवाद निश्चय प्रणाली (ADR) कहते हैं। यह शब्द एक समग्र संज्ञा है जो मध्यस्थता (mediation), सुलह (conciliation), समझौता बैठकें (negotiation), पंचाट (lok adalat), निर्णायक मध्यस्थता (arbitration) तथा अन्य वैकल्पिक तरीकों को शामिल करता है। ADR का उद्देश्य समय, लागत और संसाधनों की बचत करते हुए विवादों का त्वरित, प्रभावी और सामूहिक समाधान सुनिश्चित करना है।

ADR क्यों महत्वपूर्ण है?

  • न्यायालयों का बोझ कम करना: मामलों की संख्या लगातार बढ़ने से अदालतों पर दबाव बढ़ता जा रहा है। ADR न्यायालयीन प्रक्रियाओं से हटकर विवादों को जल्द सुलझाने का विकल्प देता है।
  • समय और लागत की बचत: पारंपरिक मुकदमों में वर्षों लग जाते हैं और खर्च अधिक होता है। ADR अपेक्षाकृत कम समय और कम खर्च में समाधान प्रदान करता है।
  • गोपनीयता और संवेदनशीलता का संरक्षण: कई बार विवाद संवेदनशील होते हैं—ADR में प्रक्रिया और परिणाम गोपनीय रहते हैं, जिससे निजी और व्यावसायिक हितों की रक्षा होती है।
  • संबंधों को बनाए रखना: व्यापारिक या पारिवारिक विवादों में पक्षकारों के बीच भविष्य का संबंध महत्वपूर्ण होता है। ADR में सौहार्दपूर्ण समाधान की प्रवृत्ति होती है, जिससे रिश्ते बरकरार रह सकते हैं।
  • लचीला और अनुकूलनीय प्रक्रिया: पक्षकार अपनी आवश्यकताओं के अनुसार प्रक्रिया, भाषा, स्थान और समय तय कर सकते हैं, जो अदालतों में संभव नहीं होता।

मुख्य ADR विधियाँ

  1. मध्यस्थता (Mediation): एक तटस्थ मध्यस्थ दोनों पक्षों के बीच संवाद स्थापित कराता है और आत्मसम्मत समाधान निकालने में मदद करता है। मध्यस्थ का निर्णय बाध्यकारी नहीं होता; अंतिम निर्णय पक्षकारों पर निर्भर करता है।
  2. सुलह (Conciliation): सुलहकर्ता सक्रिय रूप से समाधान सुझाता और मार्गदर्शन करता है। यह मध्यस्थता का एक रूप है पर इसमें सुलहकर्ता की भागीदारी अधिक प्रस्तावात्मक होती है।
  3. पंचाट/लोक अदालतें (Lok Adalat): यह सामुदायिक स्तर पर विवादों का त्वरित निपटारा करती हैं और भारत में कानूनी मान्यता प्राप्त हैं। लोक अदालतों के निर्णय निष्पादन योग्य होते हैं और सामान्यतः अपील के योग्य नहीं होते।
  4. निर्णायक मध्यस्थता/अर्बिट्रेशन (Arbitration): एक या अधिक निर्णेताओं (arbitrators) को पक्षकार नियुक्त करते हैं, जो सुने जाने के बाद बाध्यकारी निर्णय देते हैं। अंतरराष्ट्रीय और व्यावसायिक विवादों में यह विधि व्यापक रूप से उपयोग होती है।
  5. समझौता बैठकें/निगोशिएशन (Negotiation): प्रत्यक्ष वार्ता के माध्यम से ही विवाद सुलझाने का सरल और कारगर तरीका है, जिसमें तीसरे पक्ष की आवश्यकता नहीं होती।

कब ADR लागू करना चाहिए?

  • जब दोनों पक्ष समाधान की इच्छा रखते हों और मामला तकनीकी, व्यावसायिक या संवेदनशील प्रकृति का हो।
  • छोटे मूल्य के मुकदमों में, जहाँ अदालतीन समय और लागत अपेक्षाकृत अधिक हो सकती है।
  • विनिमेय संबंधों (business partnerships, परिवार, श्रम विवाद) को बनाए रखना आवश्यक हो।
  • अंतरराष्ट्रीय व्यापारिक विवादों में, जहाँ त्वरित और गोपनीय समाधान जरूरी होता है।

ADR के लाभ और सीमाएँ

लाभ:

  • तीव्र निर्णय और कम लागत
  • गोपनीयता और लचीलापन
  • रचनात्मक और दोनों पक्षों को स्वीकार्य समाधानों का विकल्प
  • अदालतों पर दबाव कम करना

सीमाएँ:

  • सभी मामलों के लिए उपयुक्त नहीं—उदाहरण स्वरूप जटिल कानूनी प्रश्नों या सार्वजनिक हित से जुड़े मामलों में अदालत की आवश्यकता होती है।
  • पक्षों की असमान ताकत के कारण असंतुलित समझौते हो सकते हैं, यदि आवश्यक सुरक्षा उपाय न लिए जाएँ।
  • कभी-कभी निष्पादन व बाध्यता के मुद्दे—विशेषकर अनौपचारिक समझौतों के संदर्भ में।

भारत में ADR का कानूनी रूप

    भारत में ADR की अवधारणा को कानूनी मान्यता प्राप्त है। सिविल प्रक्रिया संहिता, 1908 में संशोधन और अर्बिट्रेशन एवं मध्यस्थता अधिनियम, 1996 जैसी व्यवस्थाएँ ADR को सुदृढ़ बनाती हैं। लोक अदालतें और सामुदायिक मध्यस्थता भी स्थानीय विवाद निवारण में सक्रिय भूमिका निभाती हैं। हाल के वर्षों में अदालतों ने भी प्रोत्साहित किया है कि कई मामलों में पहले ADR के रास्ते आजमाए जाएँ।

निष्कर्ष

        वैकल्पिक विवाद निश्चय प्रणाली (ADR) एक प्रभावी, लचीला और लागत-कुशल तरीका है जो विवादों के समाधान के पारंपरिक न्यायालयीन विकल्प को पूरक करता है। यह विशेषकर उन परिदृश्यों में उपयोगी है जहाँ समय, गोपनीयता और संबंधों का संरक्षण महत्वपूर्ण हो। हालांकि, प्रत्येक मामले में ADR का चयन सोच-समझकर और कानूनी सलाह के साथ किया जाना चाहिए ताकि पक्षों के अधिकार और निष्पक्षता सुनिश्चित हों।

ADR, Alternative Dispute Resolution, पंचाट, वैकल्पिक विवाद निश्चय प्रणाली

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