परिचय जेनेवा अभिसमय पंचाट (Geneva Conventions और उनके Additional Protocols के सन्दर्भ में) अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून (International Humanitarian Law, IHL) का केंद्रभूत स्तम्भ है। यह सशस्त्र संघर्षों के दौरान नागरिकों, घायलों और युद्धबंदियों के संरक्षण से सीधे जुड़ा होता है। परिभाषा और इतिहास – जेनेवा अभिसमय पंचाट (Geneva Conventions) चार अंतर्राष्ट्रीय संधियाँ हैं जिन्हें 1949…
Category: Alternative Dispute Resolution (वैकल्पिक विवाद निस्तारण)
न्यूयार्क अभिसमय पंचाट
न्यूयार्क अभिसमय पंचाट (New York Convention on the Recognition and Enforcement of Foreign Arbitral Awards, 1958) के अंतर्गत कब और किन परिस्थितियों में एक विदेशी पंचाट (arbitral award) के प्रवर्तन (enforcement) से इंकार किया जा सकता है । परिचय – न्यूयार्क अभिसमय पंचाट (1958) का उद्देश्य अंतरराष्ट्रीय वाणिज्यिक विवादों में पंचाट के पुरस्कारों की मान्यता…
विदेशी पंचाट (Foreign Arbitration): परिभाषा, प्रवर्तन की शर्तें
परिचय विदेशी पंचाट (foreign arbitration) अंतरराष्ट्रीय व्यावसायिक विवादों को सुलझाने का एक महत्वपूर्ण माध्यम है। —विशेषकर पंचाट विधि (arbitration law) और अंतरराष्ट्रीय व्यापार कानून के संदर्भ में। 1. विदेशी पंचाट की परिभाषा विदेशी पंचाट से आशय ऐसे पंचाट (arbitration) से है जिनका संबंध या प्रभाव दो या अधिक देशों के बीच के तत्वों से जुड़ा…
किसी पक्ष की मृत्यु का मध्यस्थता समझौते पर प्रभाव
परिचय मध्यस्थता (Arbitration) एक वैकल्पिक विवाद निपटान प्रक्रिया है जिसमें पक्ष अपने विवाद को तटस्थ मध्यस्थ के समक्ष प्रस्तुत कर उसे विवाद निपटाने का अधिकार देते हैं। प्रश्न को समझना मामला यह देखने का है कि जब मध्यस्थता समझौते के किसी पक्ष का निधन हो जाता है तो क्या समझौता स्वतः समाप्त हो जाता है,…
क्या माध्यस्थम पंचाट के विरुद्ध अपील हो सकती है?
प्रस्तावना किसी भी देश में न्यायालय व्यवस्था का उद्देश्य निष्पक्ष, त्वरित और सुसंगत न्याय प्रदान करना है। भारतीय प्रक्रिया दंड संहिता व सिविल प्रक्रिया व प्रशासनिक विधियों में मध्यस्थता (mediation/conciliation) और पंचायती व्यवस्था जैसे वैकल्पिक विवाद समाधान (Alternative Dispute Resolution — ADR) के प्रावधानों का महत्त्व बढ़ा है। 1. मध्यस्थम-पंचाट (Mediation/Conciliation/Gram Panchayat adjudication) — अवधारणा…
पक्षकार का व्यतिक्रम (Res Judicata) से आप क्या समझते हैं? — एक पक्षीय पंचाट प्रक्रिया के लिए मध्यस्थ/माध्यमिक अधिकरण की शक्तियों की विवेचना
परिचय पक्षकार का व्यतिक्रम (res judicata) का सिद्धांत न्यायशास्त्र में मौलिक स्थान रखता है। इसका उद्देश्य न्यायिक निर्णयों को अंतिमता प्रदान करना, सार्थक व स्थिर विधिक व्यवस्था कायम रखना तथा संसाधनों की बचत करना है। इस प्रश्न में हमें res judicata की अवधारणा समझनी है तथा यह परखना है कि एक पक्षीय पंचाट (one-man tribunal…
माध्यस्थम पंचाट की परिभाषा एवं इसके प्रारूप और अन्तर्वस्तु की विवेचना
परिचय माध्यस्थम पंचाट (मध्यस्थता पैनल / मध्यस्थता मंडल) वैकल्पिक विवाद निपटारा व्यवस्था (ADR) में एक महत्वपूर्ण संस्था/प्रक्रिया है। यह पक्षों के बीच विवाद सुलझाने का ऐसा माध्यम है जिसमें एक या अधिक तटस्थ व्यक्तियों (मध्यस्थ/अर्बिट्रेटर/पैनल) विवाद सुनते हैं, वार्ता का संचालन करते हैं और समुचित समाधान निकालने में सहयोग करते हैं। 1. माध्यस्थम पंचाट की…
माध्यस्थम (मेडिएशन) कार्यवाही के संचालन सम्बन्धी प्रावधान
परिचय माध्यस्थम (mediation) वैकल्पिक विवाद समाधान (ADR) का एक प्रमुख साधन है जिसमें तटस्थ मध्यस्थ पक्षों के बीच आपसी वार्ता द्वारा विवाद का समाधान कराने का प्रयास करता है। भारत में मध्यस्थम सम्बन्धी प्रावधान अनेक कायनों और नियमों में निहित हैं—विशेषकर सिविल प्रक्रिया संहिता, 1908 (CPC), वैकल्पिक विवाद निवारण विधि नीतियाँ, घरेलू विधेयक तथा कुछ…
विधिक प्रतिनिधि, मध्यस्थता/माध्यमिक अधिकरण द्वारा नियुक्त विशेषज्ञ, एवं मुख्य कार्यपालक अधिकारी
परिचय किसी भी वैधानिक या प्रशासनिक विषय पर स्पष्ट, सुव्यवस्थित और संक्षिप्त उत्तर देना विधि के विद्यार्थियों के लिए अनिवार्य है। यहाँ हम तीन महत्वपूर्ण पदों—(1) विधिक प्रतिनिधि, (2) मध्यस्थ अथवा मध्यस्थता/माध्यमिक अधिकरण द्वारा नियुक्त विशेषज्ञ, तथा (3) मुख्य कार्यपालक अधिकारी 1. विधिक प्रतिनिधि (Legal Representative) परिभाषा एवं अर्थ विधिक प्रतिनिधि शब्द का प्रयोग प्रायः…
न्यायिक प्राधिकारी से आप क्या समझते हैं? उन आधारों की विवेचना कीजिये जब न्यायिक प्राधिकारी पक्षकारों को माध्यस्थम के लिए निर्दिष्ट करता है।
परिचयन्यायिक प्राधिकारी (judicial authority) शब्द का उपयोग साधारणतः न्यायालयों, न्यायाधीशों और अन्य न्यायिक संस्थानों के लिए किया जाता है जो कानूनी विवादों का निवारण, आदेश-निर्धारण तथा कर्तव्य निर्वहन करते हैं। न्यायिक प्राधिकारी केवल आदेश देने वाले व्यक्ति नहीं होते, बल्कि वे कानून के आधार पर तथ्यों का मूल्यांकन कर न्यायसंगत समाधान तक पहुँचाने का अधिकार…