मानवाधिकार यूरोपीय न्यायालय (European Court of Human Rights — ECtHR) यूरोपीय मानवाधिकार संधि (European Convention on Human Rights — ECHR) की व्याख्या और लागू करने वाला प्रमुख न्यायिक संस्थान है। इसका उद्देश्य सदस्य राज्यों द्वारा संधि में निहित मानवाधिकारों की रक्षा सुनिश्चत करना है और व्यक्तियों, समूहों तथा राज्यों को उनके अधिकारों…
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मानव अधिकारों पर वियना सम्मलेन 1993 द्वारा अंगीकार वियना घोषणा के प्रमुख बिन्दु
1. परिचय 1993 में वियना में आयोजित विश्व मानवाधिकार सम्मेलन के दौरान अंगीकार की गई वियना घोषणा और कार्रवाई कार्यक्रम (VDPA) ने विश्व मानवाधिकार आंदोलन में एक महत्वपूर्ण मोड़ स्थापित किया। यह घोषणा न केवल मानवाधिकारों की सार्वभौमिकता और अपरिहार्यता पर बल देती है, बल्कि यह भी स्पष्ट करती है कि ये अधिकार आपस में…
मानवाधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा, 1948 के पश्चात् अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मानवाधिकारों की रक्षा के लिए उठाये गए कदम और 1966 की दीवानी एवं राजनैतिक संधि (ICCPR)
मानवाधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा, 1948 के पश्चात् अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मानवाधिकारों की रक्षा के लिए उठाये गए कदम और 1966 की दीवानी एवं राजनैतिक संधि (ICCPR) तथा आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक अधिकारों की संधि (ICESCR) के क्रियान्वयन पर एक समेकित विवेचना प्रस्तावनामानवाधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा (Universal Declaration of Human Rights — UDHR), 10 दिसंबर 1948…
मानव अधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा (Universal Declaration of Human Rights — UDHR), 1948
मानव अधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा (Universal Declaration of Human Rights — UDHR), 1948 के प्रमुख प्रावधानों की व्याख्या और इसका महत्व परिचय द्वितीय विश्वयुद्ध के त्रासद अनुभवों के पश्चात् मानवता ने यह निष्कर्ष निकाला कि व्यक्तियों के अधिकारों और स्वतंत्रताओं की सार्वभौमिक सुरक्षा सुनिश्चित करना अनिवार्य है। इसी भावना से संयुक्त राष्ट्र सभा ने 1946…
दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (SAARC) — मानवाधिकार क्षेत्र में योगदान
परिचय दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (SAARC) की स्थापना 8 दिसम्बर 1985 को काठमांडू में हुई थी। इसके संस्थापक सदस्य देश भारत, पाकिस्तान, श्रीलंका, बांग्लादेश, नेपाल, भूटान, मालेदीव और अफ़ग़ानिस्तान हैं। अप्रैल २००७ में संघ के 14वे शिखर सम्मलेन में अफगानिस्तान इसका आठवा सदस्य बना. SAARC का मुख्य उद्देश्य दक्षिण एशिया में आर्थिक, सामाजिक और…
संवैधानिक उपचार का अधिकार (Right to Constitutional Remedies)
📕संवैधानिक उपचार का अधिकार (Right to Constitutional Remedies)संवैधानिक उपचार का अधिकार भारतीय संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत प्रदान किया गया है, जो नागरिकों को उनके मौलिक अधिकारों की रक्षा के लिए सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर करने का अधिकार देता है। 🔷अनुच्छेद 32 के तहत प्रदत्त रिटअनुच्छेद 32 के तहत, सर्वोच्च न्यायालय निम्नलिखित पाँच…
प्राकृतिक विधि मानव अधिकारों का आधार है?
प्राकृतिक विधि (Natural Law) और मानव अधिकारों का विचार—दोनों दार्शनिक और वैधानिक विमर्श में दीर्घकालीन रहे हैं। प्रश्न यह है कि क्या प्राकृतिक विधि वास्तव में मानव अधिकारों का आधार है, और यदि हां तो इसे आधुनिक कानूनी उपकरणों जैसे कि “मानव अधिकार संरक्षण अधिनियम” (hypothetical या किसी वास्तविक संहितात्मक नाम के सन्दर्भ में)…
नैसर्गिक अधिकार, विधिक अधिकार और मानव अधिकार
परिचय एक समावेशी और न्यायसंगत समाज की स्थापना के लिए अधिकारों की समझ आवश्यक है। अधिकार (rights) समाज, राज्य और व्यक्ति के बीच संबंधों और जिम्मेदारियों का आधार बनते हैं। सामान्यतः अधिकारों को तीन व्यापक श्रेणियों में बाँटा जाता है: नैसर्गिक अधिकार (natural rights), विधिक अधिकार (legal rights) और मानव अधिकार (human rights)। प्रत्येक श्रेणी…
मानवाधिकारों की अवधारणा
मानवाधिकार वे अधिकार हैं जो हर मानव को केवल मनुष्य होने के नाते प्राप्त होते हैं। ये अधिकार अप्रत्यक्ष, सार्वभौमिक और अविभाज्य होते हैं। मानवाधिकारों का मूल उद्देश्य प्रत्येक व्यक्ति को सम्मानपूर्ण जीवन देना और अन्याय, उत्पीड़न एवं भेदभाव से रक्षा करना है। मानवाधिकारों की अवधारणा की शुरुआत आधुनिक काल में हुई, जो मुख्यतः 18वीं…