Skip to content

PADHO JANO

One Step Towards Education

Menu
  • HOME
  • India
    • Uttar Pradesh
      • Raebareli
      • Unnao
  • LAW (कानून)
    • Administrative Law (प्रशासनिक विधि)
    • Alternative Dispute Resolution (वैकल्पिक विवाद समाधान) ADR
    • Land Law (भूमि विधि)
  • PSYCHOLOGY
  • Constitution
    • प्रस्तावना
  • General Knowledge
    • Environment
  • English
    • Dictionary
      • अनाज और उनसे बने उत्पाद
  • SERVICES
  • DOWNLOADS
Menu

Category: Human Rights

मानवाधिकार यूरोपीय न्यायालय के गठन, निर्णय प्रक्रिया और क्षेत्राधिकार

Posted on November 7, 2025November 7, 2025 by KRANTI KISHORE

      मानवाधिकार यूरोपीय न्यायालय (European Court of Human Rights — ECtHR) यूरोपीय मानवाधिकार संधि (European Convention on Human Rights — ECHR) की व्याख्या और लागू करने वाला प्रमुख न्यायिक संस्थान है। इसका उद्देश्य सदस्य राज्यों द्वारा संधि में निहित मानवाधिकारों की रक्षा सुनिश्चत करना है और व्यक्तियों, समूहों तथा राज्यों को उनके अधिकारों…

Read more

मानव अधिकारों पर वियना सम्मलेन 1993 द्वारा अंगीकार वियना घोषणा के प्रमुख बिन्दु

Posted on November 6, 2025November 7, 2025 by KRANTI KISHORE

1. परिचय 1993 में वियना में आयोजित विश्व मानवाधिकार सम्मेलन के दौरान अंगीकार की गई वियना घोषणा और कार्रवाई कार्यक्रम (VDPA) ने विश्व मानवाधिकार आंदोलन में एक महत्वपूर्ण मोड़ स्थापित किया। यह घोषणा न केवल मानवाधिकारों की सार्वभौमिकता और अपरिहार्यता पर बल देती है, बल्कि यह भी स्पष्ट करती है कि ये अधिकार आपस में…

Read more

मानवाधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा, 1948 के पश्चात् अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मानवाधिकारों की रक्षा के लिए उठाये गए कदम और 1966 की दीवानी एवं राजनैतिक संधि (ICCPR)

Posted on November 6, 2025November 6, 2025 by KRANTI KISHORE

 मानवाधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा, 1948 के पश्चात् अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मानवाधिकारों की रक्षा के लिए उठाये गए कदम और 1966 की दीवानी एवं राजनैतिक संधि (ICCPR) तथा आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक अधिकारों की संधि (ICESCR) के क्रियान्वयन पर एक समेकित विवेचना प्रस्तावनामानवाधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा (Universal Declaration of Human Rights — UDHR), 10 दिसंबर 1948…

Read more

मानव अधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा (Universal Declaration of Human Rights — UDHR), 1948

Posted on November 5, 2025November 6, 2025 by KRANTI KISHORE

मानव अधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा (Universal Declaration of Human Rights — UDHR), 1948 के प्रमुख प्रावधानों की व्याख्या और इसका महत्व परिचय द्वितीय विश्वयुद्ध के त्रासद अनुभवों के पश्चात् मानवता ने यह निष्कर्ष निकाला कि व्यक्तियों के अधिकारों और स्वतंत्रताओं की सार्वभौमिक सुरक्षा सुनिश्चित करना अनिवार्य है। इसी भावना से संयुक्त राष्ट्र सभा ने 1946…

Read more

दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (SAARC) — मानवाधिकार क्षेत्र में योगदान 

Posted on November 3, 2025November 3, 2025 by KRANTI KISHORE

परिचय दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (SAARC) की स्थापना 8 दिसम्बर 1985 को काठमांडू में हुई थी। इसके संस्थापक सदस्य देश भारत, पाकिस्तान, श्रीलंका, बांग्लादेश, नेपाल, भूटान, मालेदीव और अफ़ग़ानिस्तान हैं। अप्रैल २००७ में संघ के 14वे शिखर सम्मलेन में अफगानिस्तान इसका आठवा सदस्य बना.  SAARC का मुख्य उद्देश्य दक्षिण एशिया में आर्थिक, सामाजिक और…

Read more

संवैधानिक उपचार का अधिकार (Right to Constitutional Remedies)

Posted on October 30, 2025November 22, 2025 by KRANTI KISHORE

📕संवैधानिक उपचार का अधिकार (Right to Constitutional Remedies)संवैधानिक उपचार का अधिकार भारतीय संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत प्रदान किया गया है, जो नागरिकों को उनके मौलिक अधिकारों की रक्षा के लिए सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर करने का अधिकार देता है। 🔷अनुच्छेद 32 के तहत प्रदत्त रिटअनुच्छेद 32 के तहत, सर्वोच्च न्यायालय निम्नलिखित पाँच…

Read more

प्राकृतिक विधि मानव अधिकारों का आधार है?

Posted on August 16, 2025August 16, 2025 by KRANTI KISHORE

   प्राकृतिक विधि (Natural Law) और मानव अधिकारों का विचार—दोनों दार्शनिक और वैधानिक विमर्श में दीर्घकालीन रहे हैं। प्रश्न यह है कि क्या प्राकृतिक विधि वास्तव में मानव अधिकारों का आधार है, और यदि हां तो इसे आधुनिक कानूनी उपकरणों जैसे कि “मानव अधिकार संरक्षण अधिनियम” (hypothetical या किसी वास्तविक संहितात्मक नाम के सन्दर्भ में)…

Read more

नैसर्गिक अधिकार, विधिक अधिकार और मानव अधिकार

Posted on August 14, 2025August 14, 2025 by KRANTI KISHORE

परिचय एक समावेशी और न्यायसंगत समाज की स्थापना के लिए अधिकारों की समझ आवश्यक है। अधिकार (rights) समाज, राज्य और व्यक्ति के बीच संबंधों और जिम्मेदारियों का आधार बनते हैं। सामान्यतः अधिकारों को तीन व्यापक श्रेणियों में बाँटा जाता है: नैसर्गिक अधिकार (natural rights), विधिक अधिकार (legal rights) और मानव अधिकार (human rights)। प्रत्येक श्रेणी…

Read more

मानवाधिकारों की अवधारणा

Posted on August 1, 2025August 14, 2025 by KRANTI KISHORE

मानवाधिकार वे अधिकार हैं जो हर मानव को केवल मनुष्य होने के नाते प्राप्त होते हैं। ये अधिकार अप्रत्यक्ष, सार्वभौमिक और अविभाज्य होते हैं। मानवाधिकारों का मूल उद्देश्य प्रत्येक व्यक्ति को सम्मानपूर्ण जीवन देना और अन्याय, उत्पीड़न एवं भेदभाव से रक्षा करना है। मानवाधिकारों की अवधारणा की शुरुआत आधुनिक काल में हुई, जो मुख्यतः 18वीं…

Read more

Posts pagination

  • Previous
  • 1
  • 2

Useful Pages

  • Motivation
    • Quotes
    • Stories

Recent Posts

  • पर्यावरण सुरक्षा और पारिस्थिकी तंत्र 
  • G20
  • अलास्का
  • रामसर सम्मेलन
  • असंक्रमनीय भूमिधर क्या है?
  • जेनेवा अभिसमय पंचाट से आप क्या समझते हैं? 
  • न्यूयार्क अभिसमय पंचाट
  • विदेशी पंचाट (Foreign Arbitration): परिभाषा, प्रवर्तन की शर्तें 
  • किसी पक्ष की मृत्यु का मध्यस्थता समझौते पर प्रभाव
  • क्या माध्यस्थम पंचाट के विरुद्ध अपील हो सकती है?
  • पक्षकार का व्यतिक्रम (Res Judicata) से आप क्या समझते हैं? — एक पक्षीय पंचाट प्रक्रिया के लिए मध्यस्थ/माध्यमिक अधिकरण की शक्तियों की विवेचना
  • माध्यस्थम पंचाट की परिभाषा एवं इसके प्रारूप और अन्तर्वस्तु की विवेचना
  • December 2025 (2)
  • November 2025 (59)
  • October 2025 (1)
  • August 2025 (3)
  • April 2025 (2)
  • Alternative Dispute Resolution (वैकल्पिक विवाद निस्तारण) (15)
  • BNSS (1)
  • Costitution (3)
  • Environment (1)
  • GENERAL STUDY (2)
  • Human Rights (19)
  • Land Law (भूमि विधि) (15)
  • POLITY (1)
  • STATIC GK (1)
  • प्रशासनिक विधि (14)
  • About Me
  • Contact Us
  • Disclaimer
  • Privacy Policy
  • Facebook
© 2025 PADHO JANO | Powered by Superbs Personal Blog theme