प्रस्तावना भूमिधर (occupant/landholder) और उसके अधिकार भारतीय भूमि कानून एवं राजस्व व्यवस्थाओं का महत्वपूर्ण अंग हैं। एनविख्यात श्रेणियों में “संक्रमणीय अधिकार” (transferable rights) और “असंक्रमनीय अधिकार” (non-transferable/inalienable rights) का विभाजन विशेष महत्व रखता है, क्योंकि इससे न केवल व्यक्ति के निजी स्वत्व व लेन-देन की क्षमता निर्धारित होती है, बल्कि सार्वजनिक नीति, सामाजिक हित और…
Category: Land Law (भूमि विधि)
ग्राम पंचायत — परिभाषा, कार्य और शक्तियाँ
परिचय ग्राम पंचायत भारतीय स्थानीय स्वशासन प्रणाली की सबसे निचली इकाई है। यह ग्राम स्तर पर लोकतांत्रिक प्रतिनिधित्व का माध्यम है और ग्रामीण विकास, समेकित लोककल्याण व स्थानीय प्रशासन की जिम्मेदारी निभाती है। 1. परिभाषा ग्राम पंचायत (Gram Panchayat) स्थानीय आत्म-शासन का प्राथमिक निकाय है जो ग्राम स्तर पर ग्रामवासियों द्वारा चुने गए प्रतिनिधियों के…
ग्राम सभा क्या है? — ग्राम सभा के कार्य और शक्तियाँ
परिचय ग्राम सभा भारतीय लोक प्रशासन की सबसे निचली और महत्वपूर्ण प्रत्यक्ष लोकतांत्रिक इकाई है। यह ग्राम पंचायत के क्षेत्र में रहने वाले सभी मतदाता — यानी 18 वर्ष और उससे अधिक आयु के निवासियों — का सम्मिलित निकाय है। भारतीय संविधान के 73वें संशोधन (1992) ने ग्राम सभा को स्थानीय स्वशासन प्रणाली का केन्द्रिक…
उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता, 2006 — प्रमुख विशेषताएँ
उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता, 2006 (Uttar Pradesh Revenue Code, 2006) प्रदेश की भूमि और राजस्व संबंधी व्यवस्थाओं को व्यवस्थित करने हेतु पारित एक समेकित कानून है। यह संहिता पुराने राजस्व कानूनों और नियमों का संशोधन तथा समायोजन करते हुए राजस्व प्रशासन, निजी और सरकारी भूमि के अधिकार, रिकार्ड की व्यवस्था, कर–उपार्जन व वसूलियाँ, नक्सल एवं…
उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता, 2006
परिचय उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता, 2006 (उत्तर प्रदेश एक्ट नंबर — सामान्यतः “UP Revenue Code, 2006”) राज्य की भूमि व्यवस्था, राजस्व प्रशासन और संबंधित प्रक्रियात्मक नियमों का समेकित कानूनी ढांचा प्रस्तुत करती है। यह संहिता भूमि रिकॉर्ड, जमींदारी/किसानों के अधिकार, कर-निर्धारण, आबादी और राजस्व न्यायालयों से जुड़ी प्रक्रियाओं को विनियमित करती है। संक्षिप्त परिभाषा और…