Skip to content

PADHO JANO

One Step Towards Education

Menu
  • HOME
  • India
    • Uttar Pradesh
      • Raebareli
      • Unnao
  • LAW (कानून)
    • Administrative Law (प्रशासनिक विधि)
    • Alternative Dispute Resolution (वैकल्पिक विवाद समाधान) ADR
    • Land Law (भूमि विधि)
  • PSYCHOLOGY
  • Constitution
    • प्रस्तावना
  • General Knowledge
    • Environment
  • English
    • Dictionary
      • अनाज और उनसे बने उत्पाद
  • SERVICES
  • DOWNLOADS
Menu

ग्राम पंचायत — परिभाषा, कार्य और शक्तियाँ 

Posted on November 24, 2025November 24, 2025 by KRANTI KISHORE

परिचय

ग्राम पंचायत भारतीय स्थानीय स्वशासन प्रणाली की सबसे निचली इकाई है। यह ग्राम स्तर पर लोकतांत्रिक प्रतिनिधित्व का माध्यम है और ग्रामीण विकास, समेकित लोककल्याण व स्थानीय प्रशासन की जिम्मेदारी निभाती है।

1. परिभाषा

ग्राम पंचायत (Gram Panchayat) स्थानीय आत्म-शासन का प्राथमिक निकाय है जो ग्राम स्तर पर ग्रामवासियों द्वारा चुने गए प्रतिनिधियों के माध्यम से कार्य करता है। संविधान के 73वें संशोधन (1992) के बाद पंचायती राज संस्थाएँ संवैधानिक दर्जा प्राप्त कर चुकी हैं और ग्राम पंचायत को विशेष अधिकार तथा उत्तरदायित्व प्रदान किए गए हैं।

2. कानूनी एवं संवैधानिक आधार

– 73वाँ संविधान संशोधन एक्ट, 1992: पंचायतों को संविधान की नववीं अनुसूची में समाविष्ट सूची के अनुसार शक्तियाँ व कार्य देने की व्यवस्था।

– राज्य पंचायती राज अधिनियम: प्रत्येक राज्य ने अपनी आवश्यकता अनुसार पंचायतों के गठन, निर्वाचन, कार्य एवं वित्तीय प्रावधानों के लिए क़ानून बनाए हैं। अतः ग्राम पंचायतों के कार्य-क्षेत्र और संरचना में राज्यों के अनुसार भिन्नता हो सकती है।

3. संरचना और गठन

– ग्राम सभा: ग्राम पंचायत का मूल घटक ग्राम सभा है, जिसमें पंचायत क्षेत्र के सभी निर्वाचित मतदाता सदस्य होते हैं। ग्राम सभा ग्राम पंचायत द्वारा लिए जाने वाले निर्णयों का सर्वाधिक प्रामाणिक निकाय है।

– ग्राम पंचायत: ग्राम सभा द्वारा/निर्वाचित प्रतिनिधियों (पंच/सदस्य) और प्रधान (सदर/सरपंच) से मिलकर बनी निकाय। सदस्यों की संख्या, कार्यकाल और आरक्षण आदि राज्य कानून निर्धारित करते हैं।

– कार्यकाल: सामान्यतः पांच वर्ष (राज्य कानून के अनुसार)।

4. ग्राम पंचायत के प्रमुख कार्य (सामान्य श्रेणियाँ)

ग्राम पंचायतों के कार्यों को कई तरह से वर्गीकृत किया जा सकता है। निम्नलिखित बिंदु सामान्यतः शामिल करने योग्य हैं:

– स्थानीय प्रशासन और योजना:

  – ग्राम स्तर पर समेकित विकास योजनाएं बनाना और क्रियान्वित करना।

  – ग्राम विकास, जल आपूर्ति, सीवरेज व स्वच्छता की योजना बनाना व लागू करना।

– सामाजिक व आर्थिक कल्याण:

  – शिक्षा (निजी/सरकारी प्राथमिक विद्यालयों का सहयोग), स्वास्थ्य व परिवार कल्याण योजनाओं का समर्थन।

  – महिला, बाल विकास और सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के क्रियान्वयन में भागीदारी।

– सार्वजनिक सुविधाएँ एवं अवसंरचना:

  – सड़क, पुल, नल, पानी की टंकी, सार्वजनिक भवन, बाजार, सार्वजनिक शौचालय आदि का निर्माण व रखरखाव।

  – स्थानीय संरचनाओं की मरम्मत और संरक्षण।

– कर व राजस्व प्रशासन:

  – स्थानीय कर (जैसे हेड़-टैक्स/स्थानीय कर) व शुल्क वसूल करना (राज्य कानून के अनुसार)।

  – भूमि उपयोग तथा स्थानीय सार्वजनिक सम्पत्तियों का प्रबंधन।

– नियमनात्मक व प्रशासकीय कार्य:

  – अनुमतियाँ देना/नाप-तोल, जन्म-मृत्यु पंजीकरण (जहाँ लागू हो), स्थानीय विवादों का निपटारा (परंपरागत तौर पर)।

  – ग्राम सभा के निर्णयों का कार्यान्वयन।

– प्राकृतिक संसाधन और पर्यावरण संरक्षण:

  – जल संरक्षण, पेड़-रोपण, सामुदायिक भूमि का प्रबंधन आदि।

– आपदा प्रबंधन:

  – आपदा (बाढ़, सूखा आदि) के समय प्रारंभिक राहत व्यवस्था और बचाव कार्यों में सहयोग।

5. शक्तियाँ (Constitutional/Statutory Powers)

– अनुसूची (नवाँ/बारहवाँ आदि) के अंतर्गत सूचीबद्ध विषयों पर योजना और क्रियान्वयन की शक्ति।

– स्थानीय कर और शुल्क लगाने की शक्ति (राज्य द्वारा अनुमत सीमा तक)।

– सरकारी योजनाओं हेतु निधि प्राप्त करने, वितरण करने व उपयोग करने की वित्तीय शक्तियाँ (पंचायत निधि, केंद्र/राज्य अनुदान)।

– अधिकारिक तथा प्रशासनिक निर्णय लेने तथा कार्यपालन करने की शक्ति (संदर्भ: राज्य के संबंधित पंचायत अधिनियम)।

6. वित्तीय स्रोत

– अपनी कराधिकारिता: घरों/व्यापार/भूमि पर स्थानीय कर/वसूली (राज्य कानून के अनुसार)।

– सरकारी अनुदान: केंद्र सरकार, राज्य सरकार और जिलास्तरीय निधियाँ।

– विविध शुल्क व उपयोगिता राजस्व (पंचायत संपत्ति से किराया आदि)।

7. नियंत्रण और जवाबदेही

– पंचायतों पर राज्य की निगरानी: राज्य शासन और जिला प्रशासन के माध्यम से नियमों और कानूनों के अनुपालन की जांच।

– लेखा परीक्षण: सालाना लेखा-परीक्षा और सार्वजनिक लेखा परीक्षण (एसएसी/ऑडिट)। 

– ग्राम सभा की जवाबदेही: ग्राम सभा के प्रति पंचायत उत्तरदायी होती है; निर्णयों का पारदर्शी क्रियान्वयन ग्राम सभा सुनिश्चित करती है।

– न्यायिक निगरानी: मामलों में राज्य विधिक प्रणाली के माध्यम से न्यायालयों की समीक्षा संभव।

8. सीमाएँ और चुनौतियाँ (संक्षेप में)

– वित्तीय निर्भरता: प्रायः ग्रामीण पंचायतें वित्तीय संसाधनों के अभाव से जूझती हैं।

– क्षमता और प्रशिक्षण की कमी: सदस्य/कार्मिकों में तकनीकी व प्रशासनिक प्रशिक्षण का अभाव।

– राजनीतिक हस्तक्षेप और पारदर्शिता की कमी: स्थानीय राजनीति के कारण निर्णय प्रभावित हो सकते हैं।

– समावेशी भागीदारी की कमी: दलित/अल्पसंख्यक/महिला भागीदारी में बाधाएँ।

निष्कर्ष 

ग्राम पंचायत न केवल लोकतांत्रिक लोक-स्वशासन की प्राथमिक इकाई है, बल्कि ग्रामीण विकास, स्थानीय प्रशासन और सार्वजनिक सेवाओं के कारगर क्रियान्वयन के लिए आवश्यक संरचना भी है। संविधान में निहित प्रावधानों तथा राज्य पंचायती राज अधिनियमों के अनुसार ग्राम पंचायतों को अधिकार, कर्तव्य और संसाधन दिए गए हैं, परन्तु उनके प्रभावी क्रियान्वयन के लिए वित्तीय सशक्तिकरण, प्रशिक्षण, पारदर्शिता और सुदृढ़ नियामक ढांचे की आवश्यकता रहती है। 

Gram Panchayat, Land Law, उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता 2006, ग्राम पंचायत, ग्राम पंचायत के प्रमुख कार्य, ग्राम पंचायत को विशेष अधिकार, पंचायती राज अधिनियम, भूमि विधि

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Useful Pages

  • Motivation
    • Quotes
    • Stories

Recent Posts

  • पर्यावरण सुरक्षा और पारिस्थिकी तंत्र 
  • G20
  • अलास्का
  • रामसर सम्मेलन
  • असंक्रमनीय भूमिधर क्या है?
  • जेनेवा अभिसमय पंचाट से आप क्या समझते हैं? 
  • न्यूयार्क अभिसमय पंचाट
  • विदेशी पंचाट (Foreign Arbitration): परिभाषा, प्रवर्तन की शर्तें 
  • किसी पक्ष की मृत्यु का मध्यस्थता समझौते पर प्रभाव
  • क्या माध्यस्थम पंचाट के विरुद्ध अपील हो सकती है?
  • पक्षकार का व्यतिक्रम (Res Judicata) से आप क्या समझते हैं? — एक पक्षीय पंचाट प्रक्रिया के लिए मध्यस्थ/माध्यमिक अधिकरण की शक्तियों की विवेचना
  • माध्यस्थम पंचाट की परिभाषा एवं इसके प्रारूप और अन्तर्वस्तु की विवेचना
  • December 2025 (2)
  • November 2025 (59)
  • October 2025 (1)
  • August 2025 (3)
  • April 2025 (2)
  • Alternative Dispute Resolution (वैकल्पिक विवाद निस्तारण) (15)
  • BNSS (1)
  • Costitution (3)
  • Environment (1)
  • GENERAL STUDY (2)
  • Human Rights (19)
  • Land Law (भूमि विधि) (15)
  • POLITY (1)
  • STATIC GK (1)
  • प्रशासनिक विधि (14)
  • About Me
  • Contact Us
  • Disclaimer
  • Privacy Policy
  • Facebook
© 2025 PADHO JANO | Powered by Superbs Personal Blog theme