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बेदखली से आप क्या समझते हैं? — उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता, 2006 के संदर्भ में आसामी को किन अधिकारों पर बेदखल किया जा सकता है? — गलत बेदखली के विरुद्ध उपचार 

Posted on November 24, 2025November 24, 2025 by KRANTI KISHORE

परिचय

बेदखली (Eviction) भूमि-संबंधी विवादों में एक सामान्य प्रथा है जिसका उद्देश्य किसी व्यक्ति (आसामी/किरायेदार/अधिवासी) को किसी संपत्ति या भू-भाग से हटाना है। उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता, 2006 (UP Revenue Code, 2006) व संबंधित प्रावधानों के तहत बेदखली की प्रक्रियाएँ, कारण और आसामी के अधिकार विस्तारपूर्वक विनियमित हैं। 

1. बेदखली का अर्थ (परिभाषा)

– सामान्य अर्थ: किसी व्यक्ति को उसके कब्जे अथवा अधिकार से हटाना अथवा उसके कब्जे का दमन करना।  

– राजस्व संदर्भ: कृषि भूमि या राजस्व संपत्ति पर कानूनी या प्रशासनिक आदेश के माध्यम से आसामी के कब्जे को समाप्त करना।

2. उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता, 2006 के अंतर्गत बेदखली — कानूनी आधार

– संहिता में बेदखली के प्रावधान किसी भी अवैध कब्जे, किरायेदारी का उल्लंघन, सीमा विवाद, या भूमि वापसी के आदेश के अनुपालन के लिए हैं। प्रमुख प्रावधानों का सार (नोट: संहिता के विशिष्ट धाराएँ व शब्दावली परीक्षा के समय संदर्भित करें) —  

  a) अवैध कब्जा: जो व्यक्ति राजस्व रिकॉर्ड के खिलाफ कब्जा रखता है (बिना वैध दस्तावेज/किरायेदारी) उसे बेदखल किया जा सकता है।  

  b) असल कब्जा समाप्ति: यदि किसी आदेश, नीलामी/बिफिकरी, भूमि का पुनरुद्धार या मालिक के अधिकार के चलते कब्जाधारी का अधिकार समाप्त हो गया हो।  

  c) अप्रत्यक्ष/अनधिकृत उपयोग: भूमि का उपयोग कराए गए उद्देश्य के बाहर किया जा रहा हो या कानूनी प्रतिबंधों का उल्लंघन हो।  

– प्रशासनिक आदेश: तहसीलदार/निबंधक/राजस्व अधिकारी द्वारा कानून के अनुसार आदेश जारी कर बेदखली अमल में लाई जा सकती है।  

3. आसामी को किन अधिकारों पर बेदखल किया जा सकता है? (विधिक दृष्टि)

– कानूनी दृष्टि से बेदखल तभी वैध माना जाएगा जब कब्जाधारी का अधिकार वैध न हो अथवा समाप्त हो चुका हो। निम्नलिखित परिस्थितियों में बेदखली की जा सकती है:  

  a) अवैध कब्जा (Squatting): बिना किसी राजस्व प्रमाण/हक के किसी संपत्ति पर कब्जा करना।  

  b) किरायेदार/दासता संबंधी उल्लंघन: किराये की शर्तों के उल्लंघन पर मालिक/संपादक न्यायालय/अधिकारी द्वारा बेदखल कर सकता है (यदि संहिता में खास प्रावधान हों)।  

  c) लीज/लाइसेंस समाप्ति: लीज, लाइसेंस या अस्थायी आबंटन की अवधि समाप्ति के पश्चात कब्जा जारी रखना।  

  d) भूमि का विनियोग/उद्धार/पुनर्स्थापना: स्टैम्प/आदेश के आधार पर भूमि मालिकाना हक लौटने पर।  

  e) सार्वजनिक हित/नक्शा उल्लंघन: यदि भूमि पर ऐसा प्रयोग हो रहा हो जो नियम विरुद्ध हो और जिसके आधार पर प्रशासनिक प्राधिकरण हटाने का आदेश दे।  

– परंतु ध्यान दें: यदि आसामी के पास पारंपरिक/अधिकारकारी दर्जा (जैसे सरकारी रेकॉर्ड में नाम, पूर्व में दीर्घकालिक कब्जे का साक्ष्य, संरक्षित अधिकार) हो तो उसे बिना उचित प्रक्रिया के बेदखल नहीं किया जा सकता।

4. बेदखली करते समय अनुसरणीय प्रक्रिया (न्यायिक एवं प्रशासनिक)

– नोट: संहिता में वर्णित प्रक्रिया का पालन आवश्यक है; सामान्यतः ये कदम होते हैं:  

  a) नोटिस: कब्जाधारी को लिखित नोटिस जारी करना जिसमें औपचारिक शिकायत, कारण और हटने का समय दिया जाता है।  

  b) सुनवाई/तर्क-वितर्क: यदि संहिता मानती है तो अधिकारी द्वारा सुनवाई कर साक्ष्यों का मूल्यांकन।  

  c) आदेश: भली-भांति आधारनोध कर बेदखली आदेश पारित। आदेश में शासन-आदेश/धाराओं का उल्लेख और विवरण होना चाहिए।  

  d) अमल: आदेश के आधार पर पुलिस/प्रशासकीय अमला द्वारा निष्पादन किया जाता है; बल का प्रयोग केवल कानूनी सीमाओं में संभव।  

  e) अपील/रिव्यू: आदेश के विरुद्ध निर्धारित अवधि में प्रदेशीय अपीलीय प्राधिकारी या न्यायालय में अपील दायर की जा सकती है।

5. गलत बेदखली — अर्थ एवं उदाहरण

– गलत बेदखली उस स्थिति को कहते हैं जहाँ बेदखल करने वाला अधिकारी/मालिक/किसी अन्य ने बिना वैध एवं उचित प्रक्रिया का पालन किए, या बिना अधिकार के, आसामी को हटाया। उदाहरण: नोटिस न देना, झूठे दस्तावेज पर कब्जा हटाना, अधिकृत आदेश के बिना फोर्स का प्रयोग आदि।

6. गलत बेदखली के विरुद्ध उपचार (कार्रवाई / रेमेडीज)

– संवैधानिक/विधिक उपचार निम्न हैं:  

  a) रुक-रखाव / स्थगन (Injunction / Stay): सिविल अदालत में पेश होकर तत्काल रुक-रखाव या निष्पादन पर रोक की मांग।  

  b) निष्कासित का अपील: राजस्व संहिता में निर्दिष्ट अपीलीय प्रक्रिया के तहत अपील/रिव्यू दायर करना (समय सीमा के भीतर)।  

  c) पुनः प्रवेश/कब्जे की बहाली (Restoration of Possession): यदि बेदखली अवैध पायी जाए तो अदालत/प्राधिकारी आसामी को उसके कब्जे की बहाली का आदेश दे सकते हैं।  

  d) क्षतिपूर्ति व हर्जाना (Compensation): अवैध बेदखली से हुए नुकसान के लिए आर्थिक मुआवजा मांगना।  

  e) दंडात्मक उपाय/आदेश: यदि अधिकारी ने संविदित/अनाधिकृत कार्य किया हो तो अनुशासनात्मक कार्रवाई या दंडात्मक राज्य- कर्तव्यों के प्रावधान लागू हो सकते हैं।  

  f) दंडात्मक राहत: यदि कानूनी हनन संवैधानिक अधिकारों (जैसे जीवन व संपत्ति का अधिकार) का उल्लंघन है तो संवैधानिक हस्तक्षेप (हाई कोर्ट/सुप्रीम कोर्ट में रिव्यू/हabeas corpus लगे मामलों में) संभव है।  

  g) आपराधिक प्रकरण: धोखाधड़ी, बल प्रयोग या अन्य आपराधिक कृत्यों के लिए आपराधिक शिकायत/प्राथमिकी दर्ज कराना।

7. साक्ष्य और दस्तावेज़ी आवश्यकताएँ (प्राथमिकता)

– बेदखली-विरोध के मुकदमों में निम्न साक्ष्य महत्त्वपूर्ण होते हैं:  

  a) राजस्व रिकॉर्ड (khasra, khatauni, jamabandi इत्यादि)  

  b) आबंटन/लीज़/किराया दस्तावेज़  

  c) नोटिस/आदेश की प्रतियाँ  

  d) गवाहों के बयानों, फोटो/वीडियो साक्ष्य, भौतिक साक्ष्य  

  e) क्षति के प्रमाण (बिल, खर्च आदि)

निष्कर्ष

बेदखली का उद्देश्य वैध कब्जे की रक्षा और भूमि के अधिकारों की सुव्यवस्था है। उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता, 2006 के अंतर्गत बेदखली तभी वैध है जब वह कानूनी प्रावधानों के अनुरूप, उचित नोटिस तथा सुनवाई के साथ पारित और निष्पादित हो। गलत बेदखली के खिलाफ पीड़ित के पास अपील, पुनः प्रवेश, क्षतिपूर्ति, तथा संवैधानिक-न्यायिक उपचार उपलब्ध हैं। 

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